राज्यसभा में उठाये प्रश्नो का जबाब मिलना ही चाहिए।
मायावती जी की स्मृति को चुनौती, अब क्या चरणों में सिर काटकर रखेंगी?
मैं स्मृति ईरानी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं, अब क्या मंत्री अपना वादा निभाएंगी?
रोहित मामले पर सरकार चुप्पी साधे हुए है।
रोहित मामले पर गठित कमेटी में एक भी दलित शामिल नहीं है।
मैं स्मृति ईरानी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं। क्या मंत्री वादा निभाएंगी?
आरएसएस के कट्टर समर्थक इस प्रकरण के पीछे बताए जा रहे हैं जिसकी वजह से सरकार अंदर ही अंदर उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है।
इलाहबाद हाई कोर्ट के जज जो जांच कमेटी में इकलौते सदस्य हैं,
वो दलित जाति के नहीं हैं।
एक से ज्यादा भी अधिकारी कमीशन में रखे जा सकते थे,
इससे सरकार की साफ़ तौर पर दलित विरोधी नीति नज़र आती है।
रोहित के छोटे भाई को कोई सरकारी नौकरी दे देते तो अच्छा होता।
उसकी मां दिल्ली सरकार से अपील कर रही है।
मैं इस मामले में सीएमओ और पुलिस प्रशासन की भूमिका से भी संतुष्ट नहीं हूं।
मंत्री जी ने कहा था कि अगर मैं संतुष्ट नहीं हुई तो सिर काट के दे दूंगी, तो क्या अब वो अपने वादा पूरा करेंगी।
प्रशासन ने अंबेडकरवादी रोहित का इतना शोषण किया की उसने आत्महत्या कर ली।आज दलितों का उत्पीड़न किया जा रहा है।
इसकी जिम्मेदर केंद्र की मोदी सरकार है।
शिक्षा मंत्री झूठी है
देश की जनता रूठी है























