आओ मिलकर दीवाली मनाए
फिर से शुद्र, अछुत बन जाए
फिर से भंगी चमार हो जाए
फिर से जानवर से बदतर हो जाए
आओ फिर से दीवाला निकलवाए
पैसो मे फिर आग लगाए
आओ मिलकर दीवाली मनाए
पैसे हमारे घरो मे है नही
फिर भी लक्ष्मी की पूजा करवाए
भूल गये हम मांं बाप को
भूखे प्यासे या ज़िंदे भी है
देवताओ को हम भोग लगाए
आओ मिलकर दीवाली मनाए
अधिकार दिए बाबा साहेब ने
सम्मान दिलाया बाबा साहेब ने
शिक्षा दिलवाई बाबा साहेब ने
ज़िंदगी दी बाबा साहेब ने
पर इस सब से हमे क्या मतलब
हम तो इंसान नही जानवर है
आओ बाबा साहेब को भूल जाए
आओ मिलकर दीवाली मनाए.
दीवाली ख्तम हो गया, चलो अब सब दलित झाड़ू उठा लो. तुम तब तक ही हिंदू हो जब तक ब्राह्मण खुश रहे. दीवाली हो गयी, तुम ने दान दे दिया, चलो अब झाड़ू उठा लो.